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Toggleकान का दर्द - Ear pain
मदार के पीले पड़े बिना छेद वाले पत्तों पर थोडा सा घी लगाकर आग पर रख दें, जब वे झुलसने लगें तब तुरंत हटा कर उसका रस निचोड़ लें। इस मदार के रस को थोड़ी-सा गर्म अवस्था में ही 3 से 4 बूंद कान में डालने से तीव्र कर्णशूल शीघ्र नष्ट हो जाता है।
आंखों का रोग - Eye disease
मदार की छाल सूखी हुई 1 ग्राम कूटकर 22 ग्राम गुलाब जल में 5 मिनट तक रखकर छानकर कांच की बोतल में सुरक्षित रख लें। फिर ठंडा होने पर बूंद-बूंद आंखों में डालने से (3 या 5 बूंद से अधिक न डालें) आँखों की लाली, भारीपन, दर्द, कीच की अधिकता और खुजली दूर हो जाती है।
मदार की छाल को आग में जलाकर राख बना लें और इसे थोड़े पानी में मिलाकर आँखों के चारों ओर तथा पलकों पर धीरे-धीरे मलते हुये लेप करे तो लाली, खुजली, पलको की सूजन आदि नष्ट हो जाती है।
सावधानी
मदार का दूध आंखो में नही लगना चाहिये, नहीं तो भयंकर परिणाम हो सकते है। यह एक चमत्कारिक प्रयोग है। इसका उपयोग सावधानी से करे
मोतियाबिन्द की समस्या - Cataract problem
मदार के दूध में पुराने ईट का महीन चूर्ण 10 ग्राम मिलाकर छाया में सुखा लें। फिर उसमें लौंग 6 नग मिलाकर अच्छे से महीन कर ले और बारीक कपडे से छान लें। इस चूर्ण को किसी कांच के बोतल में रख ले। जरुरत के समय चावल भर चूर्ण नाक से जोर से सूंघने पर शीघ्र लाभ होता है। यह प्रयोग सर्दी एवं जुकाम में भी लाभ करता है
मिर्गी का रोग - Epilepsy
सफेद मदार के फूल 1 भाग और पुराना गुड़ 3 भाग लेकर सबसे पहले फूलों को अच्छे से पीस लें। फिर गुड़ के साथ खूब अच्छे से मिलाए जब यह अच्छे से मिल जाए तब चने जैसी गोलियाँ बना कर रख लें और रोजाना सुबह शाम 1 या 2 गोली ताजे जल के साथ सेवन करे। इससे लाभ होगा।
मदार के ताजे फूल और काली मिर्च एक ही मात्रा में लेकर महीन पीसकर 300 मि ग्रा की गोलियाँ बनाकर रख ले और दिन में 3 से 4 बार सेवन करे।
मदार के दूध में थोड़ी मिश्री मिलाकर रखें तथा इसकी 125 मिली ग्राम मात्रा प्रतिदिन सुबह 10 ग्राम गर्म दूध के साथ सेवन करे।

आधे सिर का दर्द - Half headache
कण्डो की राख को आक के दूध में मिलाकर छाया में सुखाकर कांच के बोतल में रख ले। इसमें से 125 मि.ग्रा. सुंघाने से छीकें आकर बेहोशी, आधाशीशी, जुकाम, सिर का दर्द रोग में लाभ होता है। बालक और गर्भवती स्त्री इसका प्रयोग न करें।
अनार की छाल 40 ग्राम खूब महीन पीसकर आक के दूध में मिलाकर रोटी की तरह नर्म आंच पे पका लें। फिर इसे धूप में सुखाकर महीन पीसकर, छरीला, जटामांसी 3-3 ग्राम, कायफल और इलायची प्रत्येक 1.5 ग्राम मिलाकर महीन पावडर बना ले। इसको नाक से सूंघने पर छीकें आकर दिमागी नजला दूर होता है। और आधाशीशी, बेहोश रोगी को होश में लाने में सहयोग मिलता है।
सांस की बीमारी - Respiratory disease
मिर्च 6 ग्राम और मदार पुष्प की लौंग 50 ग्राम दोनों को एक ही मात्रा में लेकर खूब महीन पीसकर मटर जैसी गोलियाँ बना लें। सुबह 1 या 2 गोली गर्म जल के साथ सेवन करने से श्वास रोग ठीक होता है।
मदार की जड़ के छिलका को आक के दूध में भिगोकर शुष्क कर महीन चूर्ण कर लें, 10 ग्राम चूर्ण में 25 ग्राम त्रिकटु चूर्ण श्रृंगभस्म 5 ग्राम, गोदंती 10 ग्राम मिलाकर लगभग एक ग्राम प्रातः-सायं मधु के साथ लेने से पुरातन श्वास रोग में भी लाभ होता है।
खांसी का रोग - Whooping cough
मदार के पत्रों पर छाई सफेदी को एकत्र करके बाजरे जैसी गोलियाँ बनाकर 1-1 गोली सुबह-शाम खाकर ऊपर से पान खाने से 2-4 दिन में खांसी रोग मिट जाती है।
मदार की छाल 250 मिली ग्राम को महीन पीसकर चूर्ण बना ले। फिर उसमे 250 मिलीग्राम शुंठी चूर्ण मिलाकर रख ले। रोजाना 3 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से कफ युक्त खांसी ठीक हो जाती है।
दात का दर्द - Toothache
मदार के दूध में रुई भिगोकर, घी में मिलाकर दाढ़ में रखने से दाढ़ की पीड़ा नष्ट हो जाती है मदार के दूध में नमक मिलाकर दात पर लगाने से दंत पीड़ा ख़त्म हो जाती है।
मदार की अंगुली जितनी मोटी जड़ को आग में आलू की तरह भूनकर उसका दातुन करने से दन्त रोग व दन्त पीड़ा में तुरन्त लाभ पहुंचता है।
मूत्र का रुक जाना - Urinary retention
मदार के 8 से 10 पत्तों को सैंधा नमक के साथ कूट कर मिट्टी के बर्तन में बन्द करके जलाकर भस्म तैयार कर ले। 250 मिलीग्राम भस्म को सुबह, दोपहर, शाम छाछ के साथ सेवन करने से जलोदर मिटता है।
मूत्राघात : आक के दूध में बबूल की छाल का थोड़ा रस मिलाकर नाभि के आसपास और पेडू पर लेप करने से मूत्राघात दूर होता है।
हैजा का रोग - Cholera disease
आक की जड़ की छाल 2 भाग और काली मिर्च 1 भाग, दोनों को कूटकर छानकर अदरक के रस में एवं प्याज के रस में मिलाकर मटर जैसी गोलियाँ बना लें। हैजे के दिनों में इनके सेवन से हैजे से बचाव होता है। हैजा का आक्रमण होने पर 1-1 गोली 2-2 घंटे में देने से लाभ होता है।
मदार के पीले पत्ते जो झडकर स्वयं नीचे गिर गये हो, 5 नग लेकर आग में जला दे। जब ये जलकर कोयला हो जाये तो कलईदार बर्तन में आधा लीटर पानी में इन्हें उबाल दें। यह पानी रोगी को थोड़ा-थोड़ा करके, जल के स्थान पर पिलावें।
